NEET और JEE में बड़ा बदलाव! अब कोचिंग नहीं, स्कूल की पढ़ाई ही होगी काफ़ी

आज के समय में हर माँ-बाप अपने बच्चों को डॉक्टर या इंजीनियर बनाना चाहते हैं। इसी सोच में वे उन्हें बहुत जल्दी से कोचिंग सेंटर भेजना शुरू कर देते हैं। लेकिन अब शिक्षा मंत्रालय ने इस दिशा में एक बड़ा कदम उठाया है, जिससे बच्चों की कोचिंग पर निर्भरता कम की जा सके।

शिक्षा मंत्रालय की एक नौ सदस्यीय समिति ने सुझाव दिया है कि NEET और JEE Main 2026 से इन परीक्षाओं का पैटर्न बदला जाएगा। इस बदलाव का मकसद यह है कि अब छात्र सिर्फ रटकर परीक्षा में पास न हों, बल्कि उनकी बुद्धि, सोचने की क्षमता और व्यक्तित्व का भी मूल्यांकन हो।


परीक्षा का नया तरीका क्या होगा?

समिति ने बताया है कि आने वाले समय में इन परीक्षाओं के प्रश्न पत्र कुछ इस तरह से बनाए जाएंगे कि कोई भी छात्र रट्टा मारकर (mugging up) सही उत्तर न दे सके। अब जो छात्र स्कूल की पढ़ाई ध्यान से करेंगे, वही इन परीक्षाओं में अच्छा कर पाएंगे।

साथ ही प्रश्न पत्र का स्तर CBSE और सभी राज्य बोर्ड के 11वीं और 12वीं के पाठ्यक्रम के अनुसार ही रहेगा। इससे सभी छात्रों को बराबरी का मौका मिलेगा और extra coaching की ज़रूरत नहीं पड़ेगी।


बच्चों के लिए क्यों ज़रूरी है ये बदलाव?

आजकल कई बच्चे बहुत कम उम्र से ही कोचिंग सेंटर जाना शुरू कर देते हैं। इससे उनका खेल, मनोरंजन, और व्यक्तित्व विकास रुक जाता है। कई बार तो बच्चे डिप्रेशन तक में चले जाते हैं।

शिक्षा मंत्रालय चाहता है कि बच्चे स्कूल में ही खेलें, सीखें, और अपना पूरा विकास करें। इसलिए अब कोशिश होगी कि स्कूलों में ही ऐसी व्यवस्था हो कि छात्र NEET, JEE या NDA जैसी परीक्षाओं की तैयारी कर सकें।


स्कूल और माता-पिता की भूमिका होगी अहम

अब स्कूलों को भी अपना तरीका बदलना होगा। उन्हें चाहिए कि वे ऐसे बच्चों को पहचानें जो भविष्य में डॉक्टर या इंजीनियर बनना चाहते हैं और उनके लिए अतिरिक्त कक्षाएं (extra classes) लगाएं। इससे बच्चों को कोचिंग की ज़रूरत नहीं पड़ेगी।

इसके साथ-साथ अभिभावकों की काउंसलिंग भी की जाएगी। माता-पिता को समझाया जाएगा कि बच्चों को बहुत कम उम्र से कोचिंग सेंटर भेजना सही नहीं है। इससे उनका मानसिक विकास रुक सकता है।


नवोदय विद्यालय में हो रहा है प्रयोग

Navodaya Vidyalaya जैसे स्कूलों में पहले से ही ऐसे प्रयोग शुरू हो चुके हैं। वहां बच्चों को स्कूल के समय में ही प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कराई जा रही है। इस मॉडल को अब पूरे देश में लागू करने की योजना है।


छात्रों को क्या होगा फायदा?

  • अब बच्चों को कोचिंग का खर्च नहीं उठाना पड़ेगा।

  • वे स्कूल में ही सब कुछ सीख सकेंगे।

  • बच्चों को पढ़ाई के साथ-साथ खेल-कूद और कला का भी समय मिलेगा।

  • मानसिक तनाव और डिप्रेशन जैसी समस्याएं कम होंगी।

  • हर छात्र को बराबरी का मौका मिलेगा।


निष्कर्ष

शिक्षा मंत्रालय का यह कदम देश की शिक्षा व्यवस्था में एक सकारात्मक बदलाव लाने वाला है। इससे न सिर्फ बच्चों का समग्र विकास (overall development) होगा, बल्कि कोचिंग पर उनकी निर्भरता भी कम होगी। अगर यह योजना ठीक से लागू हुई, तो आने वाले समय में बच्चे खुश भी होंगे और होशियार भी।

Leave a Comment